sdasad
    • 10 MAY 18
    गाय को बचाने का काम सचिन तेंदुलकर का है ?

    बहुत पुरानी बात नही है… जब 90 के दशक में स्वदेशी शीतल पेय कंपनियां बहुत फल-फूल रही थी जिनमे कुछ मुख्य थी- गोल्ड स्पॉट, केम्पा कोला, थम्स अप | मुझे स्मरण है हमारी दुकान पर संध्या मे शीतल पेय पीने के लिए युवाओं की भीड़ लगी होती थी, मैं स्वयं इनका दीवाना हुआ करता था | पर अचानक देखते ही देखते ये कंपनियां बाज़ार से गायब हो गई… ओर उदय हुआ पेप्सी ओर कोक का  | ये सब इतना जल्दी हुआ की मुझे कुछ समझ ही नही आया… था भी तो छोटा… बस 10 वर्ष…

    गोल्ड स्पॉट मेरी प्रिय कोल्ड ड्रिंक हुआ करती थी… अक्सर सोचता था आख़िर कहां चली गई वो… ? किसने बाज़ार से गायब किया उसे…? अब कहां मिलेगी…? सच कहूं तो आज भी कभी-2 उसका स्वाद जीभ पर आ ही जाता है | मजबूरी में मुझे पेप्सी ओर कोक पीनी पड़ती…. क्योंकि इनका प्रचार इतना जबरदस्त था की हमारी स्वदेशी कंपनियां इनके सामने टिक ही नही पाई

    अब आप विचार करें… क्या भारतीय जन गोल्ड स्पॉट से दुखी था…?? ये कंपनियां कितना प्रचार करती थी…?? कहां करती थी…? बिना प्रचार कैसे चलती थी…?? आख़िर इनके सफल होने का कारण क्या था…?? अचानक पेप्सी ओर कोक कहां से आ गई…?? क्या भारत के लोगो को इनकी आवश्यकता थी…?? क्या लोग इनके बिना मर रहे थे…? या ये नही थी तो हम शीतल पेय पीना ही नही जानते थे…?? फिर अचानक इतना सब कैसे हुआ |

    आओ आगे बढ़ें

    अब 90 के दशक मे भारत मे अवतरण हुआ टीवी का… ओर एक युवा सितारे… जिसका नाम था… सचिन तेंदुलकर… क्रिकेट का भगवान…

    अंग्रजो मे भारत के युवाओं का समय व्यर्थ करने के लिए क्रिकेट खेलना सीखाया… टीवी दिया… वर्ल्ड कप से खुमार चढ़ाया… सचिन जैसा खिलाड़ी दिया… उसे भगवान बनाया… पर क्यो…?? आवश्यकता क्या थी…??

    बस यदि आपने इसे समझ लिया तो क्रिकेट, गोल्ड स्पॉट के विलुप्त होने का कारण, पेप्सी-कोला गाथा, कथित क्रिकेट का भगवान, गाय के विलुप्त होने का कारण एवम् गाय का निवारण भी समझ आ जाएगा…

    कछु समझ आया….

    का कहा…. ?? नही…??

    अरे बुडबक कितना सरल है…

    अमूल माचो… बड़े आराम से… 🙂

    मानव का सदा से ही स्वाभाव रहा है नई एवम् सुंदर चीज़ की ओर आकर्षित होना… ओर अंग्रजो ने इसका लाभ बखूबी उठाया… ना केवल उठाया बल्कि पुर भारत को गुलाम बना डाला…

    आप गौसेवक विचार करें… क्या भारत गाय से दुखी था…? क्या हमें ट्रेक्टर की आवश्यकता थी…?? क्या हमें यूरिया चाहिए था…?? क्या विदेशी गाय के बिना कम दूध में हमारा काम नही चल रहा था…? नही ना…??? फिर ये इतना बड़ा षड्यंत्र कैसे सफल हुआ…??

    कारण…???

    अरे वही रे…. मानव स्वाभाव… सुंदरता ओर नई चीज़… सुंदरता दिखाने के लिए टीवी ओर परोसने के लिए क्रिकेट के भगवान… 🙂

    अब हम भारत के लोग अति मूढ़ है… या कहें सरल है… इस षड्यंत्र को समझते नही… या कहें की समझना ही नही चाहते… आख़िर क्यो हमे समझ नही आता की पेप्सी चलाने के लिए सचिन चाहिए… उसी प्रकार गाय को बचाने के लिए भी एक सचिन चाहिए… ??

    कहां से मिलेगा गाय को उसका सचिन…??

    क्या भारत के इतने गौप्रेमी, दानी, गौशालाएं, गौसेवक मिलकर इतना नही कर सकते की अपने-2 गांव में एक सचिन का निर्माण कर दे… एक ऐसा व्यक्ति जो गौमाता के माध्यम अच्छे से जीवनयापन करता हो… 50000 कमाता हो…?? मानता हूं की हम टीवी पर प्रचार नही कर सकते… पर फ़ेसबुक ओर व्हाट्सएप्प का क्या…??

    पढ़ें- बंद कर दो इन गौशालाओं को… नही बचेगी गाय !

    आज की परिस्थिति मे गाय को बचाने के लिए आपको उसका सचिन देना ही होगा… प्रेरणा देनी होगी… कुछ नया दिखाना होगा भाई… ओर यदि आप मेरी बात से सहमत है तो नीचे देखिए… ये एक सचिन… भारत का भाग्य पलटने की क्षमता रखता है… ओर ये काम मैं अकेला नही कर सकता… मुझे आपका सहयोग चाहिए… मुझे चाहिए की आप यह वीडियो अपने गांव, गली, नुक्कड़, चौपाटी, चौपाल, युवा, बेरोज़गार, सभा, गोष्ठी, गौशाला, गौपालक आदि सभी को दिखाएँ…. जब तक हम आमजन को यह विश्वास नही दिला देते की गाय से जीवनयापन संभव है… भरोसा करे… हम गाय को नही बचा पाएँगे….

    वही प्रेरणा जो सचिन ने पेप्सी पीने के लिए आपको दी ओर आपके उस आकर्षण ने मेरी प्रिय गोल्ड स्पॉट मुझसे छीन ली… पर मुझे भरोसा है… एक दिन गोल्ड स्पॉट वापस आएगी…. गौमाता हर घर जाएगी… बस उसे चाहिए…. उसका सचिन….

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