घटक पदार्थ
- घी : 100 मिलीलीटर
- छाछ : 10 मिलीलीटर
- नया (ताजा) गोमूत्र : 10 मिलीलीटर
- गोमय रस : 10 मिलीलीटर
- दूध : 10 मिलीलीटर
बनाने की विधि
- यह औषधि सूर्य चूल्हे पर (सोलर कुकर में) शीघ्र बनती है परंतु वह न हो, तो कड़ी धूप में परात रखकर औषधि बनाएं ।
- स्टील की परात में घी लेकर उसे धूप में रखें । उस पर बारिक छिद्र वाली जाली ढकें ।
- घी पिघल जाने पर ढक्कन हटाएं और उसमें छाछ मिलाकर पुनः जाली से ढक दें ।
- सूर्य की उष्णता से मिश्रण से पानी का अंश वास्प बनकर उड़ने लगता है ।
- मिश्रण से पानी का अंश निकल गया है इसकी आगे दिए अनुसार जांच करें । मिश्रण में कपास की बत्ती डूबा कर जलाएं । जब बत्ती बिना ध्वनी के जले, तब समझ लें कि पानी निकल गया है । बत्ती चट चट की ध्वनी के साथ जले, तो पानी अभी बचा है, यह समझ कर मिश्रण से पानी निकलने तक उसे कड़ी धूप में रखीए ।
- पानी का अंश पूर्णतः निकलने में कभी-कभी एक से अधिक दिन लगते हैं । ऐसे में रात में परात में ओस न पड़े, इसके लिए परात पर ढक्कन रखें ।
- मिश्रण से पानी निकलने के उपरांत इसमें ताजा गोमूत्र डालकर ठीक से मिलाएं और इस पर जाली रखकर पुनः धूप में रखें ।
- पुनः जल का अंश निकल जाने पर इसमें गोमय रस और उससे जल निकलने के उपरांत दूध मिलाएं ।
- एक जलांशरहित यह औषधि जब द्रव रूप हो, तभी उसे छान कर ड्रापर युक्त कांच की परलोक छोटी बोतलों में भरकर रख दें ।